बुधवार, 25 मई 2011

श्रद्धांजलि ...पंडित भीमसेन जोशी

पंडित भीम सेन जोशी नहीं रहे .कई दशक तक संगीत की सेवा की उन्होंने ........शास्त्रीय संगीत सुनने वाले संगीत प्रेमियों की तीन पीढ़ियों ने उन्हें सुना ......जिन लोगों ने उन्हें रूबरू बैठ कर सुना उन चंद भाग्यशाली लोगों में मै भी हूँ . सिर्फ एक बार उनको लाइव सुनने का मौका मिला। प्रगति मैदान के कमानी ऑडिटोरियम में आये थे। पर उनकी रेकॉर्डिंग कैसेट ढेरों है मेरे पास । इसके अलावा सारी ज़िन्दगी शास्त्रीय संगीत सुनता रहा हूँ । देश भर के संगीत सम्मेलनों में .....छोटे बड़े ...नए पुराने ....सभी कलाकारों को सुना .......अधिकतर सम्मेलनों में मेरी पत्नी मेरे साथ होती थी .....बचपन में देवेन कालरा साथ होते थे .....दिल्ली के संगीत सम्मेलनों में प्रवेश पास से होता था जो हमें कभी नसीब नहीं होते थे ....फिर भी हम हॉल के अन्दर पहुँच ही जाते थे ...फिर चाहे उसके लिए कुछ भी करना पड़े। कई बार तो गेटकीपर को पैसे देकर भी घुसे ....एक बार दिल्ली में फिक्की में पंडित राजन सजन मिश्र का गायन था ....हॉल ख़चा खच भरा था...जब अन्दर घुसने की कोई तरकीब नहीं चली तो हॉल के मेन गेट पर पंडित राजन जी का इंतज़ार करते रहे ...जब वो आए तो उनकी सिफारश पर हम अन्दर घुसे ....पर एक बात थी ....सुना हमेशा सबसे आगे बैठ कर ....पास हो चाहे न हो ......कई बार तो हॉल में जमीन पर बैठ कर सुना.......एक बार का बड़ा मजेदार वाकया याद है। मै और देवेन .... खेल गाँव में पंडित रवि शंकर और उनकी बेटी अनुष्का आए थे । वहां delhi का तथाकथित एलीट क्लास आता था । पता नहीं कैसे.... हम अन्दर तो घुस गए पर बैठने का कोई जुगाड़ नहीं बना । खैर...... पंडित जी ने जैसे ही बजाना शुरू किया हम दोनों चुपके से मंच पर ही एक कोने में बैठ गए । पर वहां हमारे जैसे कुछ और पापी भी थे .वो सब भी आ गए .मंच काफी बड़ा था..अब उस पर हमारे जैसे 50- 60 लोग बैठ गए ...सामने दर्शकों में सोनिया गाँधी जैसे लोग बैठे थे ..उधर पंडित जी आलाप ले रहे थे इधर आयोजकों ने हमें वहां से उठाना शुरू किया ....पंडित जी अपना वादन रोक कर बोले .....हे ....उन्हें बैठने दो ....यही तो असली संगीत प्रेमी हैं ...मेरे असली चाहने वाले .........

संगीत
के प्रति मेरी वो दीवानगी आज तक बरकरार है ......त़ा उम्र संगीत सुना ....एक एक दिन में 16 -16 घंटा सुना ....मुझे अपनी अब तक की ज़िन्दगी से बड़ा संतोष होता है ......अब तक तो बहुत अच्छी बीती ...धरती का सबसे अच्छा संगीत सुना .......हजारों कैसेट खरीदे ...मांग कर सुना... सबको सुना ...सबको.....जो मिला उसको सुना ...अच्छा ख़राब सब सुना .....बड़े बड़े दिग्गज सुने........किसी का नाम लेना शोभा नहीं देता .....पर पंडित भीम सेन जोशी जी को सुन कर जो अलौकिक अनुभूति होती थी ....जो आनंद उन्हें सुन कर मिला........अब इस धरती पर कभी कोई दूसरा भीम सेन पैदा नहीं होगा...........भारतीय शास्त्रीय संगीत का सूर्य अस्त हो गया। ........मानवता की इस से बड़ी सेवा और क्या हो सकती है की उनको सुन कर लाखों करोड़ों लोगों ने अलौकिक सुख का अनुभव किया.....साक्षात् इश्वर से साक्षात्कार किया .......मैंने अक्सर संगीत सम्मेलनों में लोगों को आत्मा विभोर हो कर झर झर आंसू बहाते देखा है । उस सुख को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता .....शब्द एवं भाषा उस गहराई तक पहुँच नहीं सकते ........भारत रतन जैसा पुरस्कार उन्हें प्राप्त हो कर गौरवान्वित महसूस करता होगा........

अलविदा ....पंडित जी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

यादों के पल

मेरी ब्लॉग सूची